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गर्मी में बीपी, शुगर, अस्थमा के पेशेंट्स क्या करें

- दैनिक लोक भारती
- 18 Apr, 2025
देशभर में गर्मी की शुरुआत हो चुकी है। अप्रैल के दूसरे हफ्ते में ही पूर्वी भारत के अधिकतर राज्यों में पारा 40 के पार होने लगा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिस तरह से गर्मी बढ़ती जा रही है और मौसम वैज्ञानिकों का जो पूर्वानुमान है, उसे ध्यान में रखते हुए सभी लोगों को अभी से अलर्ट हो जाने की जरूरत है।
40 से ऊपर जाता तापमान हमारे शरीर को कई प्रकार से प्रभावित करने वाला हो सकता है। बढ़ती गर्मी के साथ शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) और इसके कारण होने वाली समस्याएं तो बढ़ ही जाती है, साथ ही इस तरह का मौसम पहले से ही ब्लड प्रेशर-शुगर के मरीजों के लिए और भी दिक्कतें बढ़ाने वाला हो सकता है।
अगर पसीने के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो इंसुलिन से ब्लड शुगर अचानक कम हो सकता है, जिससे कमजोरी, चक्कर और सिरदर्द हो सकता है। हाइपरग्लाइसीमिया (High Blood Sugar): पसीने के कारण इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी और मौसम के अनुरूप दवाओं की सही डोज न होने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है। गर्मी बढ़ने पर अस्थमा के पेशेंट्स को क्या समस्या होती है? गर्मी बढ़ने पर हवा की क्वालिटी, नमी और एलर्जन लेवल सबकुछ प्रभावित हो सकता है। यह अस्थमा पेशेंट्स के लिए ट्रिगर पॉइंट हो सकता है। जब तापमान 35°C से ऊपर पहुंचता है, तब हवा में मौजूद पॉल्यूटेंट्स और एलर्जन्स अधिक सक्रिय हो जाते हैं, जिससे श्वसन नली में सूजन और सिकुड़न बढ़ सकती है। अस्थमा पेशेंट्स के लिए समस्याएं: 1. ब्रोंकोकॉन्स्ट्रिक्शन (Bronchoconstriction) गर्मी के साथ जब ह्यूमिडिटी बढ़ती है तो हवा में ऑक्सीजन की मात्रा कम और नमी ज्यादा हो जाती है। इससे अस्थमा पेशेंट्स की एयरवे सिकुड़ने लगती है, जिससे सांस फूलना, खांसी और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं हो सकती है। 2. एलर्जन्स और पॉल्यूटेंट्स का असर गर्मियों में हवा में धूल, परागकण, ओजोन और अन्य एलर्जन्स की मात्रा बढ़ जाती है। ये अस्थमा के ट्रिगर हैं और एक्सपोजर बढ़ने से अटैक की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। 3. हीट इंड्यूस्ड एस्पिरेटरी डिस्ट्रेस ज्यादा गर्मी में शरीर ओवरहीट हो जाता है और सांस तेज चलने लगती है। अस्थमा पेशेंट्स में यह श्वसन नली पर स्ट्रेस डालता है, जिससे दम घुटने जैसा एहसास हो सकता है। 4. इनहेलर या दवा का असर कम होना कुछ इनहेलर्स को ठंडी जगह पर स्टोर करना जरूरी होता है। गर्मी में गलत स्टोरेज से इनहेलर की पोटेंसी घट सकती है। गर्मी बढ़ने से आर्थराइटिस पेसेंट्स को क्या समस्याएं होती हैं? गर्मी में शरीर के जोड़ों पर सीधा असर पड़ता है। खासकर उन लोगों को जो ऑस्टियोआर्थराइटिस, रूमेटॉइड आर्थराइटिस या अन्य इंफ्लेमेटरी जॉइंट डिजीज से जूझ रहे हैं। जैसे ही मौसम गर्म होता है, शरीर के भीतर हाइड्रेशन लेवल, ब्लड सर्कुलेशन और इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बदलने लगता है। यह जोड़ों के दर्द, अकड़न और सूजन को प्रभावित कर सकता है। आर्थराइटिस पेशेंट्स को गर्मियों में होने वाली दिक्कतें: लक्षण बढ़ सकते हैं गर्मी के कारण शरीर में इंफ्लेमेशन ट्रिगर हो सकता है, जिससे जोड़ों की सूजन और दर्द अचानक बढ़ सकता है। खासतौर पर रूमेटॉइड आर्थराइटिस में यह बदलाव ज्यादा देखने को मिलता है। 2. डिहाइड्रेशन और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी गर्मी में पसीने के जरिए सोडियम, पोटेशियम जैसे जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर से बाहर निकल जाते हैं। इससे मसल क्रैम्प्स, जोड़ों की अकड़न और कमजोरी हो सकती है। बचाव और सावधानी के लिए 7 जरूरी टिप्स 1. खूब पानी पिएं और डिहाइड्रेशन से बचें 2. दवाइयों और इंसुलिन को सही तापमान में रखें 3. शरीर को कूल रखें 4. खानपान पर ध्यान दें 5. फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है 6. ह्यूमिडिटी और एलर्जी को कंट्रोल करें 7. हेल्थ मॉनिटरिंग करते रहें
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