जय गोपाल शुक्ला, ब्यूरो प्रभारी
फतेहपुर। नगर निकाय में करोड़ों रुपए शासन से अवमुक्त हुए। शासन से धन अवमुक्त होने के बाद भी समस्याएं सुरसा की तरह मुंह फैलाए खड़ी हैं। 2 नगर पालिका और 5 नगर पंचायतों के हाल बुरे हैं। सदर पालिका और नगर पंचायत हथगाम के अध्यक्ष ने पाला बदल कर प्रदेश में सत्तासीन पार्टी का दामन भी थाम लिया है। नगर पालिका और नगर पंचायतों की दशा बदलने का जो सपना दिखाकर जनप्रतिनिधि कुर्सी हथियाए थे वह अब वादाखिलाफी में बदलने लगा है। विकास के नाम पर लोगों को छला गया तो कहना अति सहयोग न होगी। सदर नगर पालिका: लंबे समय से वर्चस्व की लड़ाई का दंश झेल रही पालिका में विकास के नाम पर छलावा हुआ। फतेहपुर ग्रीन-फतेहपुर क्लीन का सपना धराशाई हो गया। शपथ ग्रहण के बाद दूसरी बैठक में तनातनी और मारपीट ने विकास की गति को बुरी तरह प्रभावित कर दिया। चेयरमैन को एक लाख तक खर्च करने की लक्ष्मण रेखा से विकास को बुरी तरह पिछड़ा।
वर्ष 2013 की बात करें तो 9 करोड़ रुपया सड़कों के विकास के लिए मिला, बाद में 2 करोड़ 70 लाख फिर मिला। बीते कुछ महीनें से सड़कें बनवाई जा रही है। प्रकाश मदद में अलबत्ता 30 लाख खप गए। शहर की सबसे जरूरत की चीज सीवर लाइन और ड्रेनेज की व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई है। बिंदकी नगर पालिका: बोर्ड में सामंजस्य न होने से हर मुद्दे पर हंगामें का असर विकास पर पड़ा है। दोनों पक्ष अपने आप को सही बता रहे हैं लेकिन विकास के नाम पर भी सहमति नहीं है। 99 लाख और 80 लाख रुपए शासन से अवमुक्त हुए। अनेकों काम प्रस्ताव की मुहर न लगने से विकास नहीं दिख रहा है। रस्साकसी में विकास की सुधि किसी को नहीं रही। नगर पंचायत खागा: 4 करोड़ 25 लाख शासन से अवमुक्त हुए हैं। लेकिन कस्बे की दशा नहीं बदली है। विकास की राह पर अरबों खर्च किए जाने की दरकार है। पंचायत प्रशासन सीसी रोड, मार्ग प्रकाश, सफाई और पगार में खर्च कर डाले गए। लेकिन बिजली, पानी, सड़क, सफाई की मांग जनता कर रही है। नगर पंचायत हथगाम: नगर पंचायत हथगाम में चेयरमैन लगातार दूसरी पारी खेल रहे हैं अब सत्ता का दामन पकड़ लिया है। विकास के नाम से जनता खासी नाराज है। जलभराव, सफाई, बिजली, रोड के लिए लोग परेशान हैं। नगर पंचायत किशुनपुर: यमुना की तलहटी में बसे इस नगर में समस्याओं का अंबार है। पांच साल में नया बोर्ड आता है और समय काट कर चला जाता है। वित्तीय वर्ष में 52 लाख की राशि से क्या विकास हुआ होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है।
नगर पंचायत बहुआ: शहर से 30 किमी की दूरी होने के बाद भी विकास में कस्बा कोसों दूर है। विकास के नाम पर ब्लाक के सामने की सड़क को छोड़ दिया जाए तो सब फाइलों में दर्ज है। जबकि कच्ची गलियों, साफ सफाई, पेयजल, बिजली के संकट से लोगों को छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। लगातार दूसरी पारी एक घराने में है। नगर पंचायत जहानाबाद: लंबे अंतराल से नगर का प्रतिनिधित्व करने वाले परिवार और सत्तासीन दल के सदर विधायक जैसा कद होने के बाद दो साल में कस्बे का हाल नहीं बदला है। खास बात यह कि वित्तीय वर्ष में दो करोड़ मिले जिसमें सवा करोड़ रुपए पगार में खर्च कर डाले गए। 75 लाख से विकास कराने का खाका खीचा गया है।
शहर एवं नगर की प्रमुख समस्याएं
- सड़कों और गलियों का जर्जर होना
- मुहल्लों की सफाई योजना फ्लाप
- सफाई कर्मचारियों को रोना
- संसाधनों का रोना रोया जाना
- पुराने संसाधान हो रहे खराब
-संसाधनों की खरीद में रुपए बह रहे
- रखरखाव का बेहद अभाव
-कमीशन के खेल में डकारे जा रहे रुपए
नगर निकायों में विकास कराने के लिए हाल ही में एक बैठक बुलाई गई थी। जिसमें यह पता किया गया है कि निकाय में किस चीज की जरूरत है। कितना रुपया डंप है। जल्द ही विकास का खाका दिखेगा। - अविनाष त्रिपाठी, अपर जिलाधिकारी फतेहपुर