फर्रुखाबाद। शासन के निर्देश पर जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. राममनोहर लोहिया पुरुष अस्पताल में शुक्रवार को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक की दो सदस्यीय केंद्रीय टीम का औचक निरीक्षण हुआ। करीब छह घंटे चले इस निरीक्षण में अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की कलई खुल गई। टीम को गंदगी, मानकों की अनदेखी, अव्यवस्था और कर्मचारियों की लापरवाही जैसे कई गंभीर खामियां मिलीं, जो सीधे मरीजों की सुरक्षा और सुविधा से जुड़ी हैं।
निरीक्षण के दौरान एंटी रैबीज यूनिट की हालत सबसे चिंताजनक पाई गई। यहां वैक्सीन रखने वाला फ्रीजर गंदगी से भरा मिला, जिससे वैक्सीन की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। यूनिट में रखा गया हब कटर (सुई-कैंची निस्तारण बॉक्स) बिना मानकों के उपयोग हो रहा था। कर्मचारियों ने बताया कि उसे प्रतिदिन डस्टबिन में खाली कर देते हैं, जिसे टीम ने गंभीर लापरवाही और नियम विरुद्ध बताया। डॉ. नरेंद्र सिंगोहा ने सख्त लहजे में निर्देश दिए कि कम से कम 20 लीटर क्षमता का हब कटर प्रयोग में लाया जाए, जो भरने के बाद सील कर हटाया जाए और नया कटर लगाया जाए।
प्लास्टर रूम और ऑर्थो सर्जन डॉ. ऋषिकांत वर्मा के कमरे में महिला मरीजों की निजता की कोई व्यवस्था नहीं मिली। टीम ने पाया कि वहां किसी भी तरह के पर्दे या परदे की व्यवस्था नहीं है, जिससे महिला मरीजों को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है। ड्रेसिंग रूम में गंदगी और अव्यवस्था देखकर टीम ने इसे संभावित संक्रमण का केंद्र बताया। साफ-सफाई की हालत बेहद खराब पाई गई और स्टाफ को सख्त निर्देश दिए गए कि नियमित सफाई सुनिश्चित की जाए।
निरीक्षण के दौरान जब टीम ने कर्मचारियों से उनकी ड्यूटी और मानकों से संबंधित प्रश्न पूछे, तो अधिकांश कर्मचारी उत्तर देने में असमर्थ दिखे। कई तो मौन ही रहे, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उन्हें प्रशिक्षण या नियमों की जानकारी तक नहीं है।
टीबी व चेस्ट फिजीशियन डॉ. अंकित मिश्रा के कमरे में एक्सरे डिस्प्ले बंद मिला। डॉक्टर ने गर्मी की शिकायत की और बताया कि एसी खराब है। टीम ने क्वालिटी मैनेजर को इसे तत्काल दुरुस्त करने का निर्देश दिया। यहां लंबाई मापने का कोई बैमाना नहीं मिला और वजन करने वाली मशीन को भी उपयुक्त जगह पर न रखा जाना पाया गया।
टीम ने पाया कि पर्चियों पर दवा वितरण की व्यवस्था पारदर्शी नहीं है। हर मरीज की पर्ची की एक प्रति नहीं रखी जा रही। टीम ने निर्देश दिया कि पर्चियों की फोटोकॉपी बनाई जाए और दवाएं उसी आधार पर दी जाएं। साथ ही, दवाओं को डिस्प्ले करने के लिए अलग से व्यवस्था करने को कहा गया।
निरीक्षण के दौरान यह भी बताया गया कि अस्पताल में ई-हॉस्पिटल सॉफ्टवेयर पर आधारित दवा वितरण प्रणाली शुरू की जा रही है। टीम ने कहा कि यदि यह काम सफलतापूर्वक लागू होता है, तो यह प्रदेश का पहला ऐसा अस्पताल होगा जहां दवा वितरण पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी होगा।
निरीक्षण टीम में डॉ. अगोली गोरे और डॉ. नरेंद्र सिंगोहा प्रमुख रूप से शामिल रहे। उनके साथ डॉ. प्रभात वर्मा, फार्मासिस्ट हरश्याम सिंह, क्वालिटी मैनेजर रजा और अन्य स्टाफ मौजूद रहे। यह निरीक्षण लोहिया अस्पताल के प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवाओं की असलियत उजागर करने वाला रहा। जिन व्यवस्थाओं को किताबों में आदर्श बताया जाता है, वो जमीनी हकीकत में बदहाल मिलीं। अब देखना यह है कि उच्चाधिकारियों की इस सख्त निगरानी के बाद प्रशासन इस दिशा में कितनी तेजी से सुधार करता है।